प्रकृति का वरदान" हरियाली" १ - नीता झा


"संकट की घड़ी से बड़ा शिक्षक और कोई नहीं होता"
थोड़े बहुत शाब्दिक हेर-फेर के साथ हम सभी ने इस तरह की बातें सुनी, पढ़ी हैं। हमारे बड़ों की समझाइश में। अब लगता है कोरोना वायरस रूपी संकट हमे जीवन के हर क्षेत्र में सतर्क रहने और मितव्यता का ध्यान रखने की शिक्षा दे रहा है।
     वर्तमान समय में आमदनी और संसाधनों की लगातार कमी हो रही है। साथ ही सीमित समय के लिए बाहर निकलकर भी अपने आप को सुरक्षित रखने की चिंता में हम प्रायः पहले की तरह सहजता से काम नहीं कर  सकते और अभी ये भी नहीं पता ये स्थिति आगे सुधरेगी या और बढ़ेगी ऐसी दशा में हमे अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सजग रहना  होगा हमे ऐसी दिनचर्या की भी आदत डालनी है। जो हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाए। 
     तो आइये हम अपने आसपास ऐसी तमाम सुविधाओं, संसाधनों पर नजर डालें। जिन्हें हम अपनी दिनचर्या में शामिल करके स्वस्थ रह सकते हैं। 
     साथियों हमारे घर में दो महत्वपूर्ण कक्ष होते हैं एक तो रसोई दूसरा पूजाघर। इन दोनों में हमारे सेहत के ख़ज़ाने होते हैं। बस उनका सही तरीके से और सही समय पर उपयोग करना है वो भी अपनी आयु, अवस्था और जरूरत को ध्यान में रख कर योग्य आयुर्वेदाचार्य से परामर्श ले कर।
     तो आइये आज हम सर्वप्रथम अपने प्रथमपूज्य भगवान गणेश को प्रिय दूर्वा अर्थात दूब घास के औषधीय गुणों के  विषय में विमर्श करें
            दूब,दूर्वा, हरियाली, राम घास 
      दूब घास सहज उपलब्ध, आसानी से उगने वाली होती है। इसके पत्तों का रस बहुत सी तकलीफों में लाभदायक होता है यह वाजीकारक है,आंखों की जलन, नकसीर,मुह के छाले, बहुत ज्यादा बढ़ी एसिडिटी का आसानी से शमन, जलोदर, आंव, महिलाओं के रक्तप्रदर, गर्भपात की रोकथाम इत्यादि में प्राचीन समय से ही इसका उपयोग किया जाता रहा है । 
     यह बहुत ही आसानी से उगाया जा सकता है।गमले में लगाकर रोज उपयोग करें। स्वस्थ रहें।
क्रमशः
             नीता झा

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही अच्छी जानकारी दी है आपने दीदी ।

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  2. ग्रीष्म ऋतु के भयंकर कहर के बाद बादल आकाश में छाते हैं, दग्ध धरती शांत होने लगती है पेड़ पौधे झूमने लगते हैं वसुंधरा हरीतिमा से ढ़कीं कितनी सुंदर लगने लगती है।

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  3. प्रकृति से जुड़े रहने से ही हम सभी का कल्याण है हरियाली संरक्षण बेहद जरूरी है

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