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निपूर्ण योग केंद्र

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हमारी ऑनलाइन कक्षा में आप सभी का स्वागत है। ऑनलाइन या ऑफलाइन क्लास से जुड़ें और स्वास्थय लाभ पाएं समय  सुबह - 7.00 से 8. 20 बजे तक हमारे यहाँ समय - समय पर शाम की अन्य विशेष कक्षाएं भी होती हैं।  प्रार्थना, सूक्ष्म क्रिया से हमारी योग यात्रा स्थूल क्रिया, सूर्यनमस्कार, शवासन पश्चात कुछ आसान खड़े होकर, बैठकर, सीधे लेट कर, उल्टे लेटकर करवाने के बाद प्राणायाम, बीजमन्त्र का जाप प्रार्थना इत्यादि से सम्पन्न होती है शनिवार विशेष - राजयोग प्राणायाम, चक्र बीज मंत्र का जाप, महामृत्युंजय मंत्र का जाप, ध्यान, योग निद्रा इत्यादि। समय समय पर हमारे द्वारा प्रारम्भिक योग परीक्षा की तैयारी भी कराई जाती है। विभिन्न आयोजन भी करवाए जाते है। साथ ही मेनोपॉज, मोटापे, डायबिटीज, थॉयराइड, अर्थराइटिस जैसी समस्या के लिए भी विशेष कक्षा होगी जिसमें, योग के अतिरिक्त रोगनिवारण के अन्य पहलुओं की भी जानकारी दी जाएगी। प्रत्येक रविवार  - अवकाश ऑनलाइन शुल्क - प्रति माह 300₹ से शुरू ऑफलाइन शुल्क - प्रतिमाह 300₹ से शुरू सम्पर्क सूत्र - 9827128555

बदरा रानी - नीता झा

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चमक - गरज कर खेल रही थी.. बीती रात गगन में बदरा रानी।। काले मेघों का कर सिंगार फिर.. उन्हें नचा रही थी बदरा रानी।। खिला चाँद भी मुदित बहुत था किरणों की आभा से धूल हटाता नीता झा

गुरु, माँ, माँ, गुरु सभी गुरुओं को चरणवंदना करते हुए अपने प्रथम गुरु अम्मा पिताजी को सादर प्रणाम करती हूँ। मन में बहुत गहरे तक जो व्याप्त है। जो मेरे मन की सोच है। यहां तक की मेरा सम्पूर्ण व्यक्तित्व अम्मा पिताजी से प्रभावित रहा जब भी जीवन मे किसी उच्च आदर्श वाले व्यक्ति को देखा उनमें अम्मा पिताजी की झलक दिखी अपने जीवन के किसी भी उतार - चढ़ाव में दोनो की स्मृति उत्तर देती है। बिल्कुल सही और तत्काल। जन्म से पहले जिन्हें मेरी फिक्र रही सारा जीवन जिन्होंने अपने सभी बेटे - बहुओं, बेटी - दामाद, नाती - नातिन, पोते - पोतियों और अभी सगे सम्बन्धियों से सदैव प्रेम व्यवहार रखा ऐसे माता पिता की संतान होना हम सभी भाई बहनों का सौभाग्य है। इस पावन गुरुपूर्णिमा के शुभावसर पर अम्मा पिताजी को पुनः सादर प्रणामनीता झा

चांदी की पायल बंधे - नीता झा ।

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चांदी की पायल बंधे.. मेरे वो कदम ही तो थे।। बढ़ते रहे साथ तुम्हारे.. मेरा हौसला ही तो था।। जो खिंची चली आई.. तुम्हारे सुंदर जीवन मे।। निकल आई बहुत दूर.. लांघते अनेकों पड़ाव।। संग तुम्हारे हंसीखुशी.. जानते हो नहीं आया।। बाल मन वहीं जमा है.. सरिता की दलदली सी।। तलहटी पर शैवाल संग.. आम की बड़ी डालियों में।। गर्मी की नन्ही अमियों में.. धान के छोटे बड़े कूपे में।। अधपके धान की गंध में.. जंगली फूलों की डाल में।। हां वो मेरे कदम ही तो थे.. जो बढ़ते रहे साथ तुम्हारे।। मैं हर्षाती हूं संग हो तुम्हारे.. बतियाती भी हूं बहुत और।। इतराती भी हूं खुद से पर.. कुछ रीता सा है मुझमें भी।। शायद जिद्दी मन का कोना.. मेरी पुकार किये है अनसुना।। चिड़ियों संग फुदकता हुआ.. भँवरों संग गीत गाता हुआ।। अट्टहास कर ये जतलाता के.. मेरे बिन वो बड़ा मस्त मगन।। किए खुशियों के सभी जतन.. पर मद्धम हवा बता रही थी।। प्रायःझरते हैं आंसू उसके भी.. अट्टहास करता है जी भर जब।। रखता है मौसमी चादर में तब.. कुछ सूखे फूल कुछ उदास पल।। फिर याद कर गर्मी की दोपहर.. सिसकता भी शांत हो घर जब।। फिर वह भी सोता है उदास हो.. सरिता की तलहटी...

मेरी उपलब्धियां - नीता झा

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