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तुम वही हो - नीता झा

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तुम वही हो ना हाँ निश्चय ही वही हो.. जो समेट लेते थे बदन सारा ठुमक।। जब नींद आती थी सोने गोद मे मेरी.. कैसे अधिकार से ओढ़ते थे आँचल।। मानो वो मेरा नहीं था समूचा तुम्हारा.. जब चाहते पाना दुलार मेरा तुम तब।। बेधड़क कह जाते हंस या पैर पटक.. तब मैं सिर्फ और सिर्फ माँ होती थी।। अपनी सम्पूर्णता को समेटे झटपट.. तुम्हें अंक में समेट लेती गुनगुनाती।। लोरी, थपकी दे मीठी नींद सुलाती.. तुम अब बड़े और कद्दावर हो गए।। बड़ी सोच बड़े सपने बुनते चलते.. और इधर मैं सिकोड़ती जा रही हूं।। अपने सपने, अपनी आकांक्षाएं भी.. अपने आपको शायद समझने लगी।। बढ़ रही हूं शांत, स्थिर मोक्षद्वार तक.. बिना शिकायत और बिना शिकवे के।। क्योंकि मैने जीवन बेमिसाल जीया.. क्योंकि मैंने जीवन बेमिसाल जीया।।   एक महिला के लिए सबसे बड़ा बदलाव होता है। माँ बनने का अहसास जिसे वह हर पल जीती है। अपने बच्चों के लिए वह अपने पति के साथ मिलकर एक सुरक्षित घर बसाती है। जहां दोनों बड़े मनोयोग से अपने बच्चों का लालन - पालन करते हैं। उम्र के उत्तरार्ध में उसे और कुछ नहीं चाहिए बस उसके बाद भी सपनो का घरौंदा यूँ ही खुशयों भरा हो...... नीता झ...

क्या चाहते तुम - नीता झा।

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क्या चाहते तुम मात - पिता से.. अपने मन पर झाँको तो कभी।। जीवन की खुशियां साझा कर.. जो हर्षाते तुम्हारी मुस्कान पर।। तोड़ रहे तुम चोट देकर भारी.. उनकी कोमल भावनाएं सारी।। जिन्होंने त्यागी तुमपे जवानी.. क्या जान नहीं उनकी प्यारी।। करके सेवा पा लो सच्चे सुख.. जैसे गो माता की सेवा कर।  दुग्ध पीने पौष्टिक, सुस्वादु.. पर ये कैसी चाहत कहो तुम।। जब - तब  तुम कील चुभोते.. पीते जाते बदन का रिसता खून।। क्या इतनी भी शरम शेष रही ना.. देख सको उनकी वय और व्याधि।। कैसे तुम्हे प्यार कर सीने से लगाएं.. जब तुम्हे  जरा भी इनसे मोह नहीं।।      माता - पिता के साथ बच्चों का रिश्ता सदा से ही सबसे अधिक आत्मिय होता है। वो अपना सारा जीवन उनकी देख भाल, पढ़ाई, स्वास्थ्य, खुशियों और तमाम उम्दा परवरिश के लिए लगाते हैं, और बच्चे बदले में उनसे सच्ची श्रध्दा रखते हैं। ठीक भगवान और भक्त की तरह.....   ये होना भी चाहिए।  याद रखें आपके माता पिता पालनहार होने के साथ - साथ सामान्य इंसान भी हैं। जो धीरे - धीरे अशक्त होने लगे हैं। उन्हें भगवान की भावना से पूजना उनके उम्र की उन स...

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं - नीता झा

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स्वतंत्रता दिवस  हर भारतीय के लिए युगों - युगों तक मनाया जाने वाला  त्योहार है। जब देशभक्ति से ओतप्रोत गाने चारों ओर से सुनाई देते हैं। नन्हे नन्हे बच्चे अपनी पोषाक पहने। हाथों में छोटे - छोटे तिरंगे लिए शान से चलते हैं तब लगता है; नन्हे पंछी खुले आकाश में उड़ने को पर तोल रहे हैं।     बड़ों को लगता है बच्चे छोटे हैं उन्हें कुछ नहीं आता किन्तु मुझे लगता है वे बड़ों से ज्यादा हर बात को समझते हैं। वो वही समझते हैं जो देखते सुनते और सिखाए जाते हैं। एक स्थूल मांसपिंड से शुरू किया सफर ४, ५ साल के बच्चे तक आते आते लगातार तीव्रगति से कुछ न कुछ सीखता ही रहता है बिना रुके जो कभी अपने से करवट भी नहीं ले सकता वो यदि आपके सर दर्द पर आपके माथे में अपना नन्हा हाथ रखता है। आपकी आंखें नम होने पर स्वतः ही आपके आंसू पोंछ लेता है आप उसे कैसे कह सकते हैं बच्चे नही समझते। हाँ ये और बात है वे चालाकियां, छल, कपट, लड़ाई, द्वेष, ईर्ष्या जैसे भावों से रीते होते हैं। उनमें गजब की नकल करने की क्षमता होती है तो जो वो अपने आस पास  देखते हैं वैसे ही बन जाते हैं।    ऐसे म...

अहसास - नीता झा

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कर रखे हैं कई ज़ख्म सरे आम उसने.. के ताकीद है स्याही नहीं रक्त लिखेगी।। खुलके हंस भी तो नहीं पाई संग उनके.. डबडबाई आंखों से किस्से तमाम उड़े।। कर रखे हैं बीच कई अहसान उसने.. न मालूम मोल किसकी क्या लगाए।। डरी सी जागती रही शब भर तन्हाई.. सहर होते ही निकली ग़रीब खाने से।। के किस्से ही तो थे दर ब दर फिरते.. वो तो सात पर्दों में थी महफ़ूज़ बड़ी।। कत्ल हो ही गई आख़िर चाहतें सारी.. नियत की गुस्ताखियां खूनी थी बड़ी।। नीता झा

हॉकी में भारत की शानदार जीत की बधाई - नीता झा

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हमारे भारत के लिए आज की सुबह बहुत सारी खुशियां लेकर आई। ४१ साल बाद हमारे देश ने वापस हॉकी में वापसी की भगवान सभी खिलाड़ियों को हमेशा खुश रखें पूरे भारत को इन खिलाड़ियों, उनके परिवार और उनके कोच तथा उनसभी लोगों पर गर्व रहेगा जिनका प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष समर्पण इस जीत पर रह है।    ये जीत और ये जश्न सिर्फ खिलाड़ियों का नहीं बल्कि उन सभी लोगों की जीत का जश्न है और उन सभी माता - पिता के वर्षों के तप का उत्सव है। जिन्होंने वर्षों इस जीत की तैयारी की साथ ही अपूर्ण भारत की जीत की खुशी का पल है।    एक सात - आठ साल के नन्हे की आंखों में जब हॉकी खेलने का सपना जन्मा होगा और उसके साथ - साथ उसका वह सपना भी बढ़ता गया होगा। वर्षों से भारत के  पराजीत खेल में आगे बढ़ना कोई आसान सफर भी नहीं होगा लेकिन जिसे आगे बढ़ना होता है। वो राहों पर बढ़ता जाता है।  चाहे रहें उबड़ - खाबड़ हों, चाहे कितनी भी बाधाएं आएं जहां राहें खत्म होती हैं वहां नई राहें बनाकर आगे बढ़ने का जुनून ही एक नन्ही सी जान को दिग्गज विजेता बनाता है।     हर व्यक्ति में एक प्रवृति होनी चाहिए परिस्थि...

मित्रता दिवस की शुभकामनाएं - नीता झा

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अपनी बचपन की दोस्त छोटी की बहुत याद आ रही है। उसकी कमी बहुत खलती है। बीता समय और बीते लोग कभी लौट कर नहीं आते लेकिन हमारी यादों में हमेशा हमेशा के लिए बस जाते हैं। उम्र बढ़ते बढ़ते हम कितने अनमोल रिश्ते खोते जाते हैं।   कभी उम्र को पलटकर देखती हूँ तो कितना कुछ बदला हुआ लगता है। लेकिन बहुत से नए रिश्ते बनते हैं नन्हे नन्हे हाथों से मजबूती के साथ मेरी उंगलियां पकड़ते, किलकारी भरते कभी रोते - सुबकते मानो समझा रहे हों पल - पल परिवर्तित होते जीवनचक्र अपनी गति से चल रह है। न रुको बढ़ते चलो उन सभी अनमोल रिश्तों पर नेह निछावर करते मेरे सभी अपने अपनो को सादर अभिवादन के साथ ही मित्रता दिवस की शुभकामनाएं  नीता झा