देश सेवा - नीता झा

देश भक्ति- लघुकथा उर्वी धीरे से दरवाज़ा खोल कर आंगन में आ गई पलटकर देखा कोई जाग तो नहीं रहा है? कुछपल दरवाजे की तरफ देखती रहीं फिर कोई आहट न पाकर बाहर निकलने लगीं तभी सनद ने आवाज़ लगाई-" दादी रुकिए मैं भी आ रहा हूं" तुम इतनी सुबह क्यों उठ गए रात देर तक पढ़ाई करते हो जाओ सो जाओ नीद पूरी करना भी तो जरूरी है सनद कहाँ सुनने वाला था चल पड़ा दादी के साथ । अच्छा दादी आप लोग इतनी सुबह उठ कर रोज पार्क में लोगों को योग,ध्यान,प्राणायाम सिखाते हैं वो भी फ्री में ऊपर से जो सीखना चाहता है उसे संस्कृत और कोई भी सब्जेक्ट पढ़ाते हैं। लेकिन क्यों करते हैं आप लोग ये सब ? पापा मम्मी तो कह रहे थे अब आप लोग रिटायर होकर हमारे पास रहेंगे तो हमे आपको कोई काम नहीं करने देना है खूब आराम करवाएंगे" उर्वी सनद की बातें सुनकर चोंक गईं पर क्यों आराम करेंगे? हमे कोई बीमारी हुई है क्या? नहीं दादी पापा मम्मी कह रहे थे आपने और दादू ने बहुत मेहनत कीहै सबको बड़ा करने म...