वर्तमान को सँवारें नीता झा

शैली जल्दी-जल्दी सारे काम निपटा रही थी। कामवाली के बिना पूरे घर का काम सम्हालना बड़ा मुश्किल हो रहा था। वैसे आजकल सभी लोग घर में होते हैं, तो बिना कहे ही सब में काम बंट गया है। सुबह बच्चे मम्मी- पापा के साथ योग वगैरह से फ्री होकर नहा कर पूजा करने लगे हैं। तनु- मनु बड़ी खुशी से अपने दादा- दादी से धर्म- कर्म की बातें सुन समझ रहे हैं। कभी कभी तो उनकी दिलचस्प बातों में शैली सोहम भी मशगूल हो जाते। सुबह की चाय से रात के दूध तक साथ ही खाते - पीते खुशनुमा समय बिता रहे हैं। विकट महामारी ने जहां देश समेत पूरी दुनियां में तबाही मचा रखी है वहीं, सबसे सुरक्षित जगह बना घर, रिश्तों को बांधने का भी काम कर रहा है।बड़े दिनों बाद सब इतने लंबे समय तक एक साथ हैं। शैली का परिवार बड़ा ही सुलझा हुआ सुखी, संतुष्ट परिवार है। वहीं शैली ने भी हमेशा सबका मान रखा। कल तनु-मनु के स्कूल से मैसेज आया था,जल्दी ही उनके स्कूल खुलने वाले हैं। शैली इसी वजह से हड़बड़ा रही थी। बच्चों की पढ़ाई को ले कर वो बहुत सीरियस थी। बच्चे भी बड़े अच्छे नम्बरों से पास होते, अभी भी वह चाहती थी उसके बच्चों की सारी तैयार...