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जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मैसेज - नीता झा

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आजकल हर हाथ मे मोबाइल होते हैं। जिसके साथ अनगिनत जानकारियां और हर वो बात जो इंसान जानना चाहे ,अब आपकी सोच और आपके बनाए ग्रुप पर निर्भर करता है कि आपके पास क्या आ रहा है। मैने कई लोगों से सुना है। मैं तो गुड मॉर्निंग,गुड नाईट वाले मैसेज से परेशान रहता हूँ।या कहेंगे मोबाइल खोलो नही की मोबाइल बाबा का प्रवचन शुरू सही है। कई बार मुझे भी ऐसा ही लगता है। हम इन मैसेजेस से परेशान हो जाते हैं।  लेकिन आपने कभी खुद को महसूस किया होगा तो पाएंगे कि सुबह उठते ही आप बिना कॉल आए मोबाइल चेक कर रहे होते हैं। इसका क्या मतलब ?तो आप कहेंगे कुछ जरूरी सूचना होगी ,जी हां यही जरूरी सूचना हमेशा अलग अलग रूप में हमतक आती रहती है।      मेरी करीबी एक महिला बहुत परेशान थी वो अंदर से काफी टूटी हुई थी उसने अप्रत्यक्ष ही किन्तु अपनी निराश का जिक्र किया उसने कहा -"सोचती हूँ सारा कुछ खत्म कर लूं  मैं ही न रहूंगी तो मेरा न मन ही दुखेगा और न कुछ किसी को पता ही चलेगा।" मुझे उसे लेकर काफी चिंता हुई मैने उसके परिजनों के साथ मिलकर उसे इस बुरे दौर से निकाला इसमे मोबाइल के मैसेजेस का बहुत बड़ा सहारा मिला मै...

अरसा बीत गया तुमसे यूं मिले -नीता झा

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घण्टों बैठ मायके को जिए सुबह एकसाथ चाय की चुस्की साथ सारी दिनचर्या निबटाना वो दोपहरी में मिल मटर छिले अरसा बीत गया तुमसे यूं मिले क्या पकेगा पर गम्भीर चिंतन टहलने के साथ बेतकल्लुफी साथ रविवार के काम निपटा सबके साथ खूब घूमना-खाना अरसा बीत गया तुमसे यूं मिले किसकी शादी में क्या पहने कौन कौन क्या रस्म निभाए कौन घर कौन बाहर सम्हाले इसपर सुविधा के साथ चले अरसा बीत गया तुमसे यूं मिले अपने कमरे से निकल झट से तुम तक बेखटके पहुँच जाना बे-फ़िक्री से बैठक लगाकर और बिना भूमिका कुछ भी कहे अरसा बीत गया तुमसे यूं मिले मायके की सारी अनकही बातें मुस्कान और आंसू से समझे फिर बड़े आत्मीय अंदाज़ में उन्हें अपना समझ सुलझाए अरसा बीत गया तुमसे यूं मिले मायका छोड़ आए जिस घर उसके कोने- कोने को सँवारे अपने साथ सबको पिरोए कच्चा पक्का साथ रसोई बनाए अरसा बीत गया तुमसे यूं मिले कभी मित्रवत कभी प्रतिद्वंदी तो कभी पीड़ा में उदास हो जाना नमक, चीनी के संतुलित रिश्ते और उन्हें सहेज सहज खुश हुए अरसा बीत गया तुमसे यूं मिले ससुराल के तरीके साथ सीख पुरानी यादों को दिल में दबाए नए घर को अपना बनाए हुएI अरसा बीत गया तुमस...

वह अनायास ही चला गया - नीता झा

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अंधकार की सखियों सी वैधव्य की गवाह गलियां गुमसुम बड़ी ही हो रही हैं माँ की आंखों सी मजबूर मन ही मन वो रो रही हैं सुख चुके आंसू सी हरियाली गलियों से झरती जा रही है तपती दोपहरी सी दाहक सवाल हजारों लिए पड़ी है मयखानों संग सरकार चलती मरघट सी हर गलियां हुई हैं मय की बाढ़ में बहता यौवन नाहक ही संसार छोड़ गया यश कोई ना बना अल्पायु को अपयश लिए ही चला गया अपने पीछे रोते परिजन और कर्तव्यों के अम्बर छोड़ गया टूटे सपनो के दंश यादों में रख वह अनायास ही चला गया       नीता झा

अभी देर नहीं हुई - नीता झा

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               सैनिकों को श्रद्धांजलि  साथियों अभी वर्तमान समय हर तरह की परेशानियों से घिरता जा रहा है। ऐसे में हमारा विवेक और संयम हमे काफी हद तक मुसीबतों से बचा सकता है।      कोरोना वायरस ने सारी दुनियां में कई तरह से नुकसान पहुंचाया साथ ही कहीं आग से तो कहीं, पानी से, कहीं भूस्खलन तो कहीं, भूकम्प इत्यादि से जान-माल की काफी हानि हुई इसपर कई देशों में हो रही युद्ध जैसी स्थिति का बनना अच्छा संकेत नहीं है।      इस समय हर कोई अपनी अपनी भूमिका के अनुसार काम कर रहे हैं। चाहे वो नेता हों, सैनिक, अधिकारी, वैज्ञानिक, समाजसेवी या कृषक,डॉक्टर फेहरिस्त बहुत लम्बी है। हमेशा सभी लोग अपने-अपने कामो में लगे रहते हैं तभी दुनियां चलती है। जब कहीं कोई गलतियां करता है दुष्प्रभाव भी दिखता है। कौन हैं ये जिम्मेदार लोग?      हम या हमारे बीच के ही लोग गलतियां भी करते हैं और सुधारने वाले भी हम और हमारे बीच के ही लोग हैं। तो सबकी अपनी अपनी जिम्मेदारियां हैं उन्हें करने दें हम किसी भी कार्यक्षेत्र से हों हैं तो...

क्या जीवन अब भी चलता है? नीता झा।

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बच्चियों पर होते अत्याचार न जाने कब थमेंगे? मन बहुत दुखी हो जाता है। जब ऐसी घटनाओं के बाद बहुत से दिल ताउम्र एक भी पल सुख के नहीं बिता पाते होंगे, जिस घर से ऐसी अर्थियां उठती होंगी वहां फिर कभी क्या खुशियां उन्मीक्त नाचती होंगी कभी नहीं।    इस घिनौने अपराध को अंजाम देने वालों के दिमाग मे ऐसा क्या चलता होगा? क्या इस अपराध के मूल कारण पर कभी चिंतन होंगे?  क्या कभी इन अपराधों पर वास्तव में अंकुश लग पाएगा? ऐसे बहुत से प्रश्न सभी के मन मे उठते हैं। जवाब के न मिलने तक सवाल नासूर की तरह हर इंसान को सालते रहेंगे। "क्या जीवन अब भी चलता है" इन प्रश्नों के दूसरे पहलू को उकेरने का प्रयास है।    हम जितनी आस्था भगवान पर रखते हैं उतना ही विश्वास लोक,परलोग, आत्मा, पुनर्जन्म इत्यादि पर भी करते हैं। यह हिन्दू धर्म के साथ समाहित है तभी तो हम श्राद्ध कर्म को इतनी श्रद्धा से सम्पन्न कराते हैं। मेरी यह कविता इन्ही विषयों के इर्दगिर्द धूमती हुई वेदना है क्या जीवन अब भी चलता है! हम सबके न होने के बाद ? घर आंगन कैसे लगते हैं ! हमारी अर्थी उठने के बाद ? गमलों में पानी कौन दे ...

प्रकृति का वरदान "हरियाली" - ६ नीता झा।

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                          केसर   केसर भगवती को अति प्रिय है। भोग के लिए जब भी खीर बनती है। तो हम सभी की यही कोशिश रहती है, के मेवे, इलायची के साथ केसर हो जाए,  माँ के पसन्द की खीर होगी। किसी  भी भोग, और मिष्ठान को सुगन्ध और स्वास्थ्य से रंगने वाला केसर चाहे थोड़ा महंगा है किन्तु इसके गुणों के आगे मूल्य कम लगता है।   केसर में ब्लडप्रेशर कंट्रोल करने का गुण होता है, मिर्गी का दौर कम करता है, खांसी से बचाता है, केंसर रोधी होता है, तनाव चिंता कम करता है, मस्तिष्क क्षमता बढ़ाता है, डिप्रेशन कम करता है, आंखों की रोशनी ठीक करता है, गर्भावस्था के सातवे महीने से अल्प मात्रा में दूध के साथ केसर लेना पाचन अच्छा रख कर स्वस्थ बनाता है, हृदय को बल मिलता है, केसर दूध से शरीर के रक्त की शुद्धि होती है, हड्डी मजबूत करता है, हार्मोन्स के असंतुलन को ठीक करता है, केसर, चंदन माथे पर लगाने से सरदर्द ठीक हो दिमाग ठंडा होता है, उबटन में केसर दूध मिलाकर लगाने से चेहरे की कांति बढ़ती है और भी बहुत से फायदों से युक्त केस...

आइये हमअपनी जिम्मेदारी सुनिश्चित करें - नीता झा

कोरोना वायरस के साथ पनपती असंतोष की नागफनी भारत ही नहीं समूचे विश्व को अपने दंश से पीड़ित कर रही है। इस महामारी ने कई तरह से परेशान कर रखा है। समस्या चाहे कोई भी हो समय पर ईमानदारी से ध्यान न देने पर उससे निपटना मुश्किल या यूँ कहें कभी कभी असम्भव हो जाता है।        "सोने की चिड़िया" का विदेशी दोहन अचानक ही नहीं हुआ; मुट्ठी भर लोगों की लापरवाह व्यवस्था से हुई छोटी-छोटी चूक ने लंबे समय तक देश को गुलाम बना दिया। जिसकी कसक विदेशी भाषा के रूप में आज भी विद्यमान है। इस गुलामी से आज़ादी कब मिलेगी कहना किसी के लिए भी आसान नहीं।       जब-जब जनता हिस्सों में बंट कर अपने अपने सूरमाओं के भरोसे; अंर्तकलह को राजनीति का जामा पहना मूक दर्शक बनती रहेगी और अपने समर्थन के बदले रेज़गारियों से आनन्दित होती रहेगी, देश का कुछ खास भला नहीं कर सकते।       किसी भी व्यवस्था पर उंगली उठाने से पहले हमे स्वयं को भी देखना होगा। हमने जो भी मांग की है,उसके लायक हैं भी या नहीं; केवल वोट देकर देश को नहीं चलाया जा सकता। हर व्यक्ति को देश की प्रगति के लिए अपनी भूमिका सुनिश्चित ...

प्रकृति का वरदान-" हरियाली " ५ - नीता झा

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                            इलायची हमारे आराध्य देवी- देवताओं एवं पितरों को भोग लगाने के बाद दिए जाने वाले मुखवास में इलायची का विशेष महत्व होता है। सोने व चांदी के वरक वाली इलायची भी प्राचीन काल से प्रचलन में है। इलायची स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ- साथ स्वादिष्ट भी होती है। भारतीय व्यंजनो में इलायची का ख़ास महत्व होता है। खास कर मिठाइयों में इलायची डालना जरूरी सा होता है। क्योंकि स्वाद के साथ ही इलायची पाचन में भी सहयोग करती है। कब्ज़ ठीक करने,पेट की चर्बी कम करने, बालों को मजबूत करने, रूसी खत्म करने, खून साफ करने, मुह का स्वाद ठीक करने, मुह के छाले ठीक करने में उपयोग करते हैं। इलायची का सेवन, जी मिचलाने, भूख कम लगने में भी इलायची खाना अच्छा होता है,इलायची खाने से मुह की दुर्गन्ध भी दूर होती है। इलायची के छिलके को दांतो पर रगड़ने पर दांत साफ होते हैं। किसी के लिए एक दिन में एक या दो इलायची खाना पर्याप्त होता है                नीता झा

प्रकृति का वरदान "हरियाली" ४ - नीता झा

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प्रकृति का वरदान " हरियाली " ४                             पान पत्ता       हमारे यहां पूजा में पान पत्ते का भी बहुत महत्व है। साथ ही अन्य पूजन सामग्री की तरह पान के पत्ते के भी स्वास्थ्यगत अनेक लाभ हैं।       पान खाने का सही तरीका और समय हो तो अतिउत्तम। कभी भी पान में कत्था, सुपारी, तम्बाखू,जर्दा, इत्यादि नहीं डालना चाहिए; अन्यथा यह लाभ देने की जगह हानिकारक होगा। पान पत्ता जितना कड़वा होगा, उतना फायदा करेगा साथ ही जितने गहरे रंग का होगा उतना अच्छा होगा। पान को शहद, चुना, लौंग, इलायची, नारियल बुरा, केसर, गुलकंद, छुहारा, सौंफ, यष्ठिमधु इत्यादि के साथ खाना चाहिए। पान में सोने, चांदी के वरक लगाकर  खाने का चलन भी प्राचीन काल से रहा है। यह उसके गुणों को और भी बढ़ता है। पान की गिलौरी के अतिरिक्त सूखे पान पत्ते को मुखवास में डाल कर भी खाया जाता है। साथ ही शर्बत भी बनाया जाता है।      पान चबाने से, मुह के छाले ठीक होते है। सिरदर्द ठीक होता है। भोजन का पाचन सही ह...

प्रकृति का वरदान" हरियाली " - ३ नीता झा

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                                  बेल इस कड़ी में हम आज हम औषधीय गुणों से युक्त  " बेल " के धार्मिक, आयुर्वेदिक एवं अन्य उपयोगों पर विमर्श करेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बेल वृक्ष की जड़ में महादेव का वास बताया जाता है; अतः यह वृक्ष भी परमपूज्यनीय मन जाता है। भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय बेल पत्र का धार्मिक महत्व तो है ही, आयुर्वेदिक महत्व भी कुछ कम नहीं, यही नहीं खाने के अलावा और भी बहुत उपयोगी होते हैं। बेल की पत्तियां, फल, तना और जड़ सभी काम आते हैं।          बेल की पत्तियां ऐसे ही चबाकर खाने पर गले में कफ नहीं जमता आवाज़ साफ होती है। बेल की पत्तियों को  पीस कर, उबाल कर और सुखी पत्तियों को चूर्ण बनाकर समस्यानुसार मिश्री, सोंठ पानी, दूध, शहद इत्यादि के साथ लिया जाता है।      बेल पत्र का सेवन मधुमेह नाशक होता है।  बेल में केंसर रोधी गुण भी पाए जाते हैं। बेल का काढ़ा पीने से खून भी साफ होता है।लू लगने पर भी इसका उपयोग लाभप्रद होता है ...

प्रकृति का वरदान " हरियाली"- २ - नीता झा

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आप सभी को हरियाली के अनुपम त्योहार "पर्यावरण दिवस" की अशेष शुभकामनाएं।     हमारे पूर्वजों ने बड़े ही आदर भाव से पर्यावरण का संरक्षण किया; उनकी उपयोगिता को धर्म के साथ जोड़ कर हर घर में स्थापित करवाया। ताकि लोग अपने आसपास स्वास्थ्यप्रद वातावरण बना सकें, साथ ही उन औषधितुल्य वृक्षों, झाड़ियों, लताओं और पौधों से स्वास्थ्य लाभ ले सकें और इस बात पर हमे गर्वित होना चाहिए कि आज भी हमारे जीवन में इन मान्यताओं का विशेष महत्व है।     आस्था और स्वस्थ की इसी कड़ी को आगे बढ़ते हुए आज हम विमर्श करेंगे माता तुलसी के विषय में अपने अंक.... ..     प्रकृति का वरदान "हरियाली"- २                    तुलसी     तुलसी का औषधीय और धार्मिक रूप से विशिष्ठ महत्व होता है। तुलसी दो तरह की होती है राम तुलसी जो थोड़ी हरे रंग की होती है और दूसरी श्याम तुलसी जिसका रंग गहरा होता है। श्याम तुलसी में ज्यादा औषधीय गुण होते हैं। तुलसी का पंचांग अर्थात जड़, तना, पत्तियां मंजरी और बीज सभी का आयुर्वेदिक महत्व बहुत ज्यादा है। तुलसी पत्र ...

प्रकृति का वरदान" हरियाली" १ - नीता झा

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"संकट की घड़ी से बड़ा शिक्षक और कोई नहीं होता" थोड़े बहुत शाब्दिक हेर-फेर के साथ हम सभी ने इस तरह की बातें सुनी, पढ़ी हैं। हमारे बड़ों की समझाइश में। अब लगता है कोरोना वायरस रूपी संकट हमे जीवन के हर क्षेत्र में सतर्क रहने और मितव्यता का ध्यान रखने की शिक्षा दे रहा है।      वर्तमान समय में आमदनी और संसाधनों की लगातार कमी हो रही है। साथ ही सीमित समय के लिए बाहर निकलकर भी अपने आप को सुरक्षित रखने की चिंता में हम प्रायः पहले की तरह सहजता से काम नहीं कर  सकते और अभी ये भी नहीं पता ये स्थिति आगे सुधरेगी या और बढ़ेगी ऐसी दशा में हमे अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सजग रहना  होगा हमे ऐसी दिनचर्या की भी आदत डालनी है। जो हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाए।       तो आइये हम अपने आसपास ऐसी तमाम सुविधाओं, संसाधनों पर नजर डालें। जिन्हें हम अपनी दिनचर्या में शामिल करके स्वस्थ रह सकते हैं।       साथियों हमारे घर में दो महत्वपूर्ण कक्ष होते हैं एक तो रसोई दूसरा पूजाघर। इन दोनों में हमारे सेहत के ख़ज़ाने होते हैं। बस उनका सही तरीके से और सही ...

अतिथि, स्वागत आपका - नीता झा

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कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है। बड़े-बड़े शक्तिशाली देश भी इसकी गिरफ्त से नहीं बच पाए  ऐसे में हम विकासशील और घनी आबादी वाले भारत वासियों को भी सावधान रहना चाहिए लोग ध्यान भी रखते हैं। यही कारण है कि हमारे यहां थोड़ी बहुत राहत है।       वहीं कुछ लोग बदपरहेजी करते दिख जाते हैं। ये वही चन्द लोग हैं, जो अपनी नासमझी या अज्ञानतावश बहुतों को खतरे में डाल रहे हैं, तो क्यों ना हम सभी लोग अपने-अपने घरों के सामने इस तरह के पोस्टर लगवाएं।                        अतिथि, स्वागत आपका  हम आभारी होंगे यदि आप अत्यंत आवश्यक कार्य होने पर ही पधारें। कॉलबेल बजाने के बजाए मेरे नंबर......... पर कॉल करें। कोरोना वायरस के जानलेवा प्रकोप से  स्वयं को व अपने परिवार को सुरक्षित रखें हमारी यही कामना है हम सभी सपरिवार स्वस्थ, प्रसन्न और दीर्घायु हों।    " महामारी पर सम्पूर्ण विजय तक, सामाजिक दूरी    फिर न होगी अपनो से मिलने, ऐसी कभी मजबूरी"        साथ...