मैसेज - नीता झा
आजकल हर हाथ मे मोबाइल होते हैं। जिसके साथ अनगिनत जानकारियां और हर वो बात जो इंसान जानना चाहे ,अब आपकी सोच और आपके बनाए ग्रुप पर निर्भर करता है कि आपके पास क्या आ रहा है। मैने कई लोगों से सुना है। मैं तो गुड मॉर्निंग,गुड नाईट वाले मैसेज से परेशान रहता हूँ।या कहेंगे मोबाइल खोलो नही की मोबाइल बाबा का प्रवचन शुरू सही है। कई बार मुझे भी ऐसा ही लगता है। हम इन मैसेजेस से परेशान हो जाते हैं। लेकिन आपने कभी खुद को महसूस किया होगा तो पाएंगे कि सुबह उठते ही आप बिना कॉल आए मोबाइल चेक कर रहे होते हैं। इसका क्या मतलब ?तो आप कहेंगे कुछ जरूरी सूचना होगी ,जी हां यही जरूरी सूचना हमेशा अलग अलग रूप में हमतक आती रहती है। मेरी करीबी एक महिला बहुत परेशान थी वो अंदर से काफी टूटी हुई थी उसने अप्रत्यक्ष ही किन्तु अपनी निराश का जिक्र किया उसने कहा -"सोचती हूँ सारा कुछ खत्म कर लूं मैं ही न रहूंगी तो मेरा न मन ही दुखेगा और न कुछ किसी को पता ही चलेगा।" मुझे उसे लेकर काफी चिंता हुई मैने उसके परिजनों के साथ मिलकर उसे इस बुरे दौर से निकाला इसमे मोबाइल के मैसेजेस का बहुत बड़ा सहारा मिला मै...